असम की कला और संस्कृति और असम की पूरी जानकरी

हेलो दोस्तों आज हम एक नए राज्य की संस्कृति को जानने वाले है ऐसा राज्य जिसे प्रकृति नेअपने हाथो से सजाया है एवं सवारा है जी हां आज हम असम की कला और संस्कृति और असम की पूरी जानकरी को विस्तार जानेंगे

असम एक ऐसा राज्य है जो नार्थ ईस्ट का प्रवेश द्वार है साथ ही नार्थ ईस्ट का सबसे बड़ी आवादी वाला राज्य है और यह राज्य विभिन्ताओ से भरा हुआ देश के कोने कोने से आये लोगो की संस्कृति में एकता को दर्शाता है |

आप यहाँ आकर इस राज्य की प्राकृतिक सुंदरता और साथ ही यहाँ के लोगो की मेहमानवाजी के कायल हो जायँगे यकीं मानिये में भी पहली बार असम आकर यहा की संस्कृति और यहाँ की सुंदरता का दीवाना हो गया था और आज भी हु | चाहे यहाँ का म्यूजिक हो या बिहू उत्सव हो यह मेरे मन को गहरी शांति में ले जाते है |

असम में अगर देखा जाए तो यहाँ के मैदानी इलाको से लेकर खूबसूरत पहाड़ियों तक चारो और प्रकर्ति का सौंदर्य ही बिखरा पड़ा है भूपेन हजारिका के गीतो ने असम की कला और संस्कृति को गीतों के माध्यम से लोगो को दिखाया है में आपको इस आर्टिकल के माध्यम से असम की यादे ही नहीं बल्कि यहाँ के अहसास भी शेयर करने की कोशिस करूँगा तो आइये जानते है असम की कला और संस्कृति और असम की पूरी जानकारी :-

1. असमिया कला ( असम की कला और संस्कृति )

असम की कला और संस्कृति :-असम में भी उत्तम शिल्प और कलाकृतियों का खजाना देखने को मिलता है। यहाँ आपको पीतल शिल्प, धातु शिल्प, मुखौटा बनाने, कुम्हार, बेंत और बांस शिल्प, गहने के उत्पादन देखने को मिल जायँगे। असम को दुनिया भर में जाना जाता है अपने रेशम के लिए जिसका नाम असम सिल्क है। एरी नाम के अच्छे ऊन यहाँ देखने को मिल जाते हैं।


असम के लोग मूर्तिकला और विभिन्न कला रूपों जैसे पटुआ और चित्रकारों के बहुत शौकीन होते हैं। मध्ययुगीन काल के समय हस्तीविदारणव, चित्रा भागवत और गीता गोविंदा ने असमिया साहित्य को काफी हद तक प्रभावित किया है। स्थानीय चित्रकारों ने हैंगूल और हैटल जैसे स्थानीय पेंट का भी इस्तेमाल किया है |

2. असम की वेशभूसा

हम अब असम की कला और संस्कृति असम की वेशभूसा की बात करेंगे |
असम में महिला व् पुरुष के अलग-अलग पहनावे होते हैं. महिलाओं की ड्रेस में ऊपर का हिस्सा एक विशिष्ट प्रकार का चादर से ढका होता है असामीज महिलाये इसे कंधे से लेकर कमर तक पहनती है ज्यादातर चादर सफ़ेद ही होते है जिसमे चादर की पत्तिओ में छोटे छोटे फूल के चित्र बने होते है | असामीज महिलाये कमर से लेकर पाउ तक मेखला पहनती है। मेखला के विभिन्न रंग और डिजाईन होते है । शरीर के छाती अंश में ब्लाउज पहना जाता है।

अस्सामी पुरुषो की वेशभूसा में धोती पहनी जाती है। इसको दराचल कमर से लेकर टांग के आधे हिस्से तक पहनते है। धोती सामान्यत सफ़ेद रंग की होती है।और कुर्ताअस्सामी पुरुष ऊप्परकी और पहनते है यह एक लम्बा कमीज होता है,जिसको गले से लेकर कमर तक पहना जाता है। ज्यादातर अस्सामी लोगो द्वारा सफ़ेद कमीज ही पहना जाता है |

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3. असम का संगीत

संगीत असम की कला और संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। विविध समुदायों के लोगों ने विभिन्न जगहों में असम के सगीत को बढ़ाया है | अवरोही पैमाने और पिरामिड संरचना असम संगीत की प्रमुख विशेषता है। अगर असम के विभिन्न संगीत वाद्यंत्रों की बात की जाये तो इसमें धोल, माक्र्स, ताल, पेपा, गोगोना प्रमुख संगीत वाद्यंत्र है |

a. भारीगान

असम के राभस का लकड़ी का नाट्य मुखौटा भारिगान के प्रदर्शन से जुड़ा है, जो एक कम ज्ञात नाट्य नाटक प्रतीत होता है, जिसे असम के राभा समुदाय द्वारा उपयोग किया जाता है। प्रदर्शन स्थानीय लोककथाओं और हिंदू पौराणिक कथाओं के विभिन विषयों पर है।

b. झुमुर

झुमुर गीतों एक पारंपरिक गीत है, जो आम लोगों के दिन-प्रतिदिन के कार्यों पर आधारित है। एड़ियों के चारों ओर घंटियों के बाइंडिंग क्लस्टर की विशेषता के कारण इसको झुमुर के नाम से जानते है।

c. बिहुगेट

यह बिहू त्योहार का एक अभिन्न अंग है। रोंगाली बिहू के हुसोरी के दौरान, ग्रामीण, समूहों में, डोर-टू-डोर से चलते हैं, खुशी से गाते हुए कैरोल गाते हैं। इन कोरस समूहों को हसोरी पार्टियों के रूप में भी जानते है और इसमें केवल पुरुष भाग ले सकते थे। फिर वे ढोल नगाड़ों के साथ अपने आगमन का संदेश देते हुए अपने घर के गेट तक पहुँचते हैं। ‘तमुल’ के साथ गृहस्वामी का धन्यवाद करने के बाद गायकों के घर पर नए साल का आशीर्वाद लेते है।


d. क्षेत्रीय लोक संगीत

: इसमें कामरूपिया लोकजीत, गोलपोरिया लोकजीत, ओजापाली असम के लोकप्रिय लोक संगीत में से एक हैं।

4. असम की भाषा

हम असम की कला और संस्कृति अब असम की भाषा पर आ पहुंचे है भारतीय आर्यभाषाओं की शृंखला में पूर्वी सीमा पर स्थित असम की भाषा को असमी, असमिया अथवा आसामी भाषा भी कहा जाता है।यह भाषा असम राज्य की आधिकारिक भाषा एवं आसाम की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है |असम में इसको बोलने वालों की संख्या डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा है।

ऐसा मन जाता है की अस्सामी भाषा की उत्पत्ति सत्रहवीं शताब्दी से हुई है किंतु साहित्यिक अभिरुचियों का प्रदर्शन तेरहवीं शताब्दी में रुद्र कंदलि के द्रोण पर्व तथा माधव कंदलि के रामायण से प्रारंभ हुआ प्रतीत होता है।

सीमा की दृष्टि से असम क्षेत्र के पश्चिम में बंगाल है। अन्य दिशाओं में भी कई परिवारों की भाषाएँ बोली जाती हैं। इनमें से तिब्बती, बर्मी तथा खासी मुख्य हैं। इन सीमावर्ती भाषाओं का गहरा प्रभाव असमिया की मूल प्रकृति में देखा सकते है | असमिया के अलावा भी असम में अन्य कई भाषा बोली जाती है | जिसमे नेपाली ,बंगाली , बिहारी ,मणिपुरी ,राजस्थानी ,एवं अन्य जनजातीय भाषा प्रमुख है |असमिया भाषा मैदानी इलाको प्रुमख रूप से बोली जाती है अस्समिया भाषा बहुत ही खूबसूरत भाषा है इस भाषा में असम की कला और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है |

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5. असम का इतिहास

असम की कला और संस्कृति – प्राचीन असम को हम कामरूप के रूप से जानते है , इस असम में शक्तिशाली राजवंशों का शासन हुआ करता था: वर्मन (350 -650 ई॰) शाल्स्ताम्भस (६५५-900 ई॰) और कामरुप पाल (900-1100 ई॰). पुश्य वर्मन ने वर्मन राजवंश कि स्थापना की । भासकर वर्मन (600-650 ई॰), जो एक विख्यात वर्मन शासक के रूप में जाने जाते थे |


उसके बाद कमजोर और कामरुप पाल के बाद, कामरुप परंपरा को काफी बढ़ा दिया गया| चंद्र (1120-1184 ई॰) एवं चंद्र द्वितीय (1155-1255१ ई॰) राजवंशों द्वारा 1255 तक ई॰।

मध्यकाल में पूर्वी असम 1228 ईस्वी में बर्मा के विजेता चाउ लुंग सिउ का फा के अधिकार में आ गया । अहोम वंश ने असम में 1829 तक शासन किया जब तक कि अंग्रेजों ने यनदबु ट्रीटी के समय असम पर कब्ज़ा नहीं कर लिया |उसके बाद देश आजाद होने के बाद असम को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दे दिया गया |

6. असम का भूगोल

असम भौगोलिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है |असम तीनो साइड से नार्थ ईस्ट राज्यों से घिरा हुआ है | असम उत्तर में भूटान और पूर्व में अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, और मणिपुर द्वारा मिज़ोरम और मेघालय के दक्षिण में और पश्चिम में बांग्लादेश और त्रिपुरा से घिरा पूरी तरह घिरा हुआ है।असम राज्य का चैत्रफल 78,523 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तक फैला हुआ है | असम राज्य मैदानी और नदी घाटियों से मिलकर बना हुआ है।

असम को तीन प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित हुआ है ,जिसमे उत्तर में ब्रह्मपुत्र नदी घाटी, दक्षिण में बराक मैदान और दो और क्षेत्रों को विभाजित करने वाली मकीर एवं कछार की पहाड़ियाँ शामिल है। ब्रह्मपुत्र घाटी असम की प्रमुख विशेषता को दर्शाती है। यह घाटी बांग्लादेश के मैदानों में प्रवेश करने के लिए दक्षिण की ओर मुड़ने से पहले पश्चिम की ओर पूर्वोत्‍तर कोने में असम में प्रवेश होती है एवं पश्चिम में लगभग 450 मील तक फैली हुई है। यह असम की सबसे लम्बी घाटी है |

ब्रम्पुत्र नदी घाटी पहाड़ियों एवं लकीरों से जुडी हुई है। पश्चिम को अगर छोड़ दिया जाए तो यह पूरी घाटी पहाड़ों से घिरी है।कछार का मैदान या सूरमा घाटी जलोढ़ अवसाद द्वारा निर्मित हुआ एक समतल उपजाऊ मैदान है जो असम के दक्षिणी भाग में मौजूद है।हम इसे बंगाल डेल्टा का पूर्वी छोर के नाम से जानते है।

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7. असम की जलवायु

असम में आपको भारतीय गर्म एवं शुष्क मौसम नहीं देखने को मिलता है। अगस्त के गर्म महीने में असम का तापमान मध्यम, लगभग 84 डिग्री फ होता है। जनवरी में औसत तापमान 61 डिग्री फारेनहाइट तक रहता है।

इस मौसम में आपको घना कोहरा और बूंदाबांदी देखने को मिलती है। मार्च से बारिश शुरू होती है यह अगस्त या सितमबर तक चलती है वर्षा असम में सबसे ज्यादा होती है । जून से यह बारिश सबसे ज्यादा हो जाती है । चुकी असम एक निचला मैदानी इलाका है जिससे दूसरे नार्थ ईस्ट ऊपरी राज्यों का पानीअसम में आता है |जिसका परिणाम यह होता है की भारी बारिश से असम में हर साल विनाशकारी बाढ़ आ जाती है |

जिससे लाखो लोग प्रभावित होते है | असम के क्षेत्रफल का बीस प्रतिशत भाग वनों से ढका हुआ है।असम में हिरण, हाथी, रॉयल बंगाल के बाघ और जंगली सुअर जंगलों में देखने को मिल जायँगे। महत्वपूर्ण वन उत्पादो की बात की जाय तो लाख, लकड़ी, बांस और जलाऊ लकड़ी प्रमुख हैं |

8. असम के त्योहार

असम भारतीय उपमहाद्वीप का विविधताओं से भरा पूर्वांचल राज्य है,जिसमे विभिन्न जनजातीय वर्ग जो आसपास के राज्यों से आये बड़ी संख्या में निवास करते है इसकी वजह से यहाँ बड़ी संख्या में विभिन्न त्यौहार मनाये जाते है जो असम की कला और संस्कृति एवं विविधता को दर्शाते है |जिसकी वजह से असम त्योहारों का घर कहलाता है |असम के त्यौहार में जो जुनून, सम्मोहक, मंत्रमुग्ध करने और सच्चे धर्मनिरपेक्षता देखी जा सकती है।

असम के सभी त्योहारों का उद्देश्य सभी लोगो को एक साथ लाना एवं आपसी प्रेम भाव को बढ़ाना है | असम प्रमुख उत्सवो में बिहू ,रजनी गबरा ,बैशगु,रोंगकर और चोमनकान,माजुली ,देहिंग पटकाई महोत्सव,बोहागियाओ बिशु महोत्सव,बैखो,अंबुबाची महोत्सव,एवं 2 राज्य महोत्स्व हाथी महोत्सव,ब्रह्मपुत्र बीच फेस्टिवल आदि प्रमुख है अगर अन्य त्योहारों की बात करे तो होली ,दीपवाली , क्रिसमस डे ,एवं अन्य बहुत सारे त्यौहार है |

a. बिहू महोत्सव

असम राज्य में बिहू असम का सबसे प्रमुख त्यौहार है |बिहू वर्ष के 3 अलग-अलग समयों में 3 बार मनाया जाता है | अप्रैल में बिज़ बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू, जनवरी में माघ बिहू या भोगली बिहू और अक्टूबर एवं नवंबर में केला बिहू या कोंगाली बिहू।

b. रजनी गबरा

रजनी गबरा दिमसा जनजाति के लिए असम के सबसे खास और बहुप्रतीक्षित त्योहारों में से एक माना जाता है , रजनी गबरा एक सामाजिक-धार्मिक त्योहार के रूप में मनाया जाता है यह सामान्यत नई खेती के शुरुवात पहले एवं दिन के समय मनाया जाता है |

c. बैशगु


बैशगु का त्योहार आम तौर पर मध्य अप्रैल के दौरान बोडो कचरिस जनजाति के द्वारा मनाया जाता है। बोडो जनजाति नए साल पर वसंत के मौसम में इस त्योहार को मनाती है |

d. माजुली

माजुली का त्योहार असम में नदी के किनारे पर मनाया जाता है , जो एक असीम प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाता है | की पृष्ठभूमि है। जिसमे अलग-अलग जातीय समूहों एक छत निचे अपनी संस्कृति और विरासत के लिए मिलते है |

e. देहिंग पटकाई महोत्सव

यह त्यौहार हर साल जनवरी के महीने में आयोजित किया जाता है। इन त्योहारों को जातीय मेलों, चाय विरासत यात्राओं, गोल्फ, वन्यजीव भ्रमण, साहसिक खेलों और विश्व युद्ध II कब्रिस्तान और स्टिलवेल रोड के लिए डाउन लेन लेन यात्राओं के एक प्रमुख कॉकटेल के रूप में मनाया जाता है |

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9. असम का खान पान

मैदानी इलाकों से ताजा सब्जियां और मछली और मांस काफी मात्रा में खाया जाता है। असम के भोजन में चावल प्रमुख है असम में विभिन्न सांस्कृतिक प्रभावों के संगम से असमिया भोजन में विविधता और स्वाद काफी बढ़ जाता है। यह क्षेत्र में उनकी बहुतायत के कारण पौधों की एक अत्यंत विस्तृत विविधता के साथ-साथ पशु उत्पादों के उपयोग की विशेषता है। खाना पकाने का पारंपरिक तरीका एवं असम का भोजन अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे थाईलैंड आदि के समान ही देखा जा सकता है।

भोजन में मसाले के बहुत कम उपयोग, आग पर खाना पकाने और मुख्य रूप से स्थानिक फल और सब्जियों के उपयोग देखा जाता है।असम के खाने में मछली का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, और पक्षी जैसे बतख, स्क्वाब आदि बहुत लोकप्रिय हैं, जिन्हें खाने में शामिल किया जाता है खाने में तीखा सरसों का तेल उपयोग किया जाता है।

असम का पारंपरिक भोजन एक खार के साथ शुरू होता है जो एक टेंगा, एक खट्टा पकवान के साथ समाप्त होता है। भोजन आमतौर पर स्वदेशी समुदाय द्वारा बनाई गई घंटी धातु के बर्तनों में परोसा जाता है। इसके पीछे मान्यता यह है कि जब इस तरह के बर्तनों में भोजन एवं पानी परोसा जाता है तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद अच्छा मन जाता है और इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है । भोजन का अंत तामुल (सुपारी, आम तौर पर कच्चा) और पान के साथ समाप्त होता है।

10. असम के धर्म

जहा तक असम के धर्म की बात है असम में हिन्दू धर्म का अधिपत्य देखा जा सकता है |
असम में हिंदू 64.90%,मुसलमान 30.90%,ईसाई 3.70%,अन्य 0.50% है |2001 की जनगणना के अनुसार, यहाँ हिंदुओं की संख्या 1,72 ,96 ,455 मुसलमानों की 82,40,699 ईसाई की 9,86,579और सिखों की 22,455, बौद्धों की 59029 जैनियों की 23,950 और 22,999 आदि थी ।

असम की कला और संस्कृति दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के सांस्कृतिक तत्वों से बनती है। यहाँ विभिन्न उप प्रणालियों का गठन किया गया है। प्रतीकवाद असमिया संस्कृति का एक प्रमुख तत्व माना जाता है। महत्वपूर्ण प्रतीकात्मक तत्व तामुलपान, ज़ोराई और गमोसा आदि है |

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तो दोस्तों आज हमने असम की कला और संस्कृति  और असम की पूरी जानकारी को विस्तार से जाना उम्मीद है आपको हमारी पोस्ट पसद आयी होगी अगर आपके मन में कोई सवाल हो तो हमे कमेंट करके जरूर बताये

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