मेघालय की कला और संस्कृति और इसकी पूरी जानकारी

आज हम एक ऐसे प्रदेश की बात करने वाले है जहा मातृवंशीय प्रणाली चलती है और महिलाओ को उच्च दर्जा दिया जाता है सारी सम्पति छोटी बेटी को मिलती है | इसके साथ ही यह राज्य अपनी सुंदरता और कला और संस्कृति के लिए जाना जाता है जी हां आज हम मेघालय की कला और संस्कृति और इसकी पूरी जानकारी को जानेंगे मेघालय एक ऐसा राज्य है जो पहाड़ो से घिरा हुआ बहुत ही खूबसूरत राज्य है |मेघालय की पूरी जानकारी

मेघालय की राजधानी शिलांग है जिसको पूर्व का स्काटलैण्ड” भी कहा जाता है | मेघालय को बादलो का घर भी कहा जाता है | मेघालय पहले असम राज्य का ही हिस्सा था बाद में 21 जनवरी 1972 को असम के खासी, गारो एवं जैन्तिया पर्वतीय जिलों को काटकर नया राज्य मेघालय बनाया गया |

मेघालय की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। इसके अलावा अन्य मुख्यतः बोली जाने वाली भाषाओं में खासी, गारो, प्नार, बियाट, हजोंग एवं बांग्ला इसके अलावा यहां हिन्दी भी कुछ जगह बोली समझी जाती है इसको बोलने वाले ज्यादातर लोग शिलॉन्ग में मिलते है | आइये जानते है मेघालय की कला और संस्कृति के बारे में

1. आधुनिक इतिहास


मेघालय की कला और संस्कृति में सबसे पहले हम आधुनिक इतिहास के बारे में जानते है मेघालय का गठन असम राज्य के दो बड़े जिलों संयुक्त खासी हिल्स एवं जयन्तिया हिल्स को असम से अलग कर २१ जनवरी, १९७२ को किया गया था। इसे पूर्ण राज्य का दर्जा देने से पूर्व १९७० में अर्ध-स्वायत्त दर्जा दिया गया था।[13]

19 वीं शताब्दी में ब्रिटिश राज के अधीन आने से पहले गारो, खासी एवं जयन्तिया जनजातियों के अपने अपने राज्य हुआ करते थे। कालान्तर बाद में 16 अक्तूबर 1905 में लॉर्ड कर्ज़न द्वारा बंगाल के विभाजन होने पर मेघालय को पूर्वी बंगाल एवं असम का भाग बनाया गया | हालांकि इस विभाजन को 1912 में वापस पलट दिये जाने पर मेघालय को असम का भाग बनाया गया ।

३ जनवरी 1921 को भारत सरकार के 1919 के अधिनियम की धारा 52ए के अनुसार , गवर्नर-जनरल-इन-काउन्सिल ने मेघालय के खासी राज्य के अलावा अन्य सभी क्षेत्रों को पिछड़ा क्षेत्र घोषित कर दिया। इसके बाद, अंग्रेजो ने भारत सरकार के अधिनियम 1935 के तहत इसे अधिनियमित किया। अंग्रेजी ने 1935 में तत्कालीन मेघालय को असम का हिस्सा बना दिया तब इस क्षेत्र को ब्रिटिश राज में एक सन्धि के तहत अर्ध-स्वतंत्र दर्जा मिला हुआ था।

1960 में एक पृथक पर्वतीय राज्य की मांग उठने लगी। 1969 के असम पुनर्संगठन (मेघालय) अधिनियम के तहत मेघालय को स्वायत्त राज्य बना दिया गया। यह अधिनियम २ अप्रैल 1970 को प्रभाव में आया और इस तरह असम से मेघालय का एक अलग राज्य के रूप में जनम हुआ | 21 जनवरी 1972 को मेघालय को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला |

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2. मेघालय का भूगोल

मेघालय की कला और संस्कृति में हम इतिहास के बाद अब भूगोल पर आ पहुंचे है | 2016 के अनुसार यहां की जनसंख्या 32,11,474 है | एवं मेघालय का विस्तार 22,0 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र तक है, जिसका लम्बाई से चौडाई अनुपात 3 :1 है | राज्य का दक्षिणी छोर मयमनसिंह एवं सिलहट बांग्लादेश से लगता है, पश्चिमी ओर रंगपुर बांग्लादेशी भाग है |

तथा उत्तर एवं पूर्वी भाग भारतीय राज्य असम से घिरा हुआ है | यह भारत का पर्वतीय एवं सर्वाधिक वर्षा वाला राज्य है। मेघालय शब्द का अर्थ मेघों का गृह है। ऊपर लाइटमावसियांग भूभाग कोहरे और मेघों में लिपटा दिखाई देता है।
मेघालय पूर्वोत्तर भारत की सात बहनों में से एक है। मेघालय में घाटियों और पठारों तथा ऊंची-नीची भूमि वाला छेत्र हैं। यहाँ पर प्रकृतिक सम्पदा भी बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। जिसमे कोयला, चूना पत्थर, यूरेनियम और सिलिमैनाइट जैसे बहुमूल्य खनिजों के भण्डार हैं।

मेघालय में बहुत सी नदियां भी मौजूद हैं जिनमें से गारो पर्वतीय क्षेत्र की कुछ महत्त्वपूर्ण नदियां हैं: गनोल, दारिंग, सांडा, बाड्रा, दरेंग, सिमसांग, निताई और भूपाई है |
पठार के पूर्वी (जयन्तिया) एवं मध्य भागों (खासी) में ख्री, दिगारू, उमियम, किन्शी (जादूकता), माओपा, उम्नगोट और मिन्डटू नदियां हैं।
दक्षिणी खासी पर्वतीय क्षेत्र में इन नदियों द्वारा गहरी गॉर्ज रूपी घाटियां एवं ढेरों नैसर्गिक जल प्रपात बन गए है |

3. मेघालय में धर्म

मेघालय में जनजातियों के अनुसार धर्मो की विविधता पायी जाती है धर्म मेघालय की कला और संस्कृति का अहम हिस्सा है |जिसमे ईसाई अधिकतर है। यहाँ की लगभग 75% जनसंख्या ईसाई धर्म का पालन करती है जिसमे प्रेस्बिटेरियन, बैपटिस्ट और कैथोलिक प्रमुख हैं। मेघालय में वहा के लोगो का धर्म उनकी जाति से निकटता से सम्बन्ध रखता है।

गारो जनजाति के 90% और खासी जनजाति के लगभग 80% लोग ईसाई धर्म का पालन करते है, जबकि हजोंग जनजाति के 98% से अधिक, कोच के 97% और राभा जनजातियों के ९४.६० लोग हिंदू धर्म का पालन करते हैं।दूरदराज के इलाकों में रहने वाले कुछ ही लोग सोंगसेरेक धर्म का अनुसरण करते हैं |

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4. मेघालय की भाषा

मेघालय की कला और संस्कृति – अंग्रेजी राज्य की आधिकारिक भाषा होने के साथ ही सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। इसके अलावा यहां की प्रसिद्ध भाषाएं खासी और गारो है |

खासी ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं के मोन-ख्मेर परिवार की एक भाषा है। 2001 की भारतीय जनगणना के अनुसार खासी भाषा को बोलने वाले 11,28,575 लोग मेघालय में रहते हैं। खासी भाषा के बहुत से शब्द की इण्डो-आर्य भाषाओ से लिये गए हैं। इसके अलावा खासी भाषा की अपनी कोई लिपि मौजूद नहीं है |
गारो भाषा का तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार से निकट संबंद है । गारो भाषा अधिकांश जनसंख्या द्वारा राज्य में बोली जाती है |

इनके अलावा मेघालय में बहुत सी अन्य भाषाएं बोली जाती हैं, जैसे प्नार भाषा पश्चिम एवं पूर्वी जयन्तिया पर्वत पर काफी लोग बोलते हैं। अन्य भाषाओं के अलावा वार जयन्तिया, मराम एवं लिंगंगम (पश्चिम खासी पर्वत), वार पिनर्सिय द्वारा भी बोली जाती हैं। री-भोई जिले के तीवा लोग तीवा भाषा बोलते है। मेघालय के असम से लगते दक्षिण-पूर्वी भागों में बसने वाले लोगों द्वारा बियाट भी काफी बोली जाती है। नेपाली भाषा राज्य के लगभग सभी जगहों में बोली जाती है।जबकि शहरी क्षेत्रों में अधिकतर लोग अंग्रेजी बोलते हैं |

5. मेघालय की वेशभूसा


मेघालय की कला और संस्कृति में हम मेघालय की वासभूषा के बारे में जानेगे हर राज्य की वेशभूसा ,संस्कृति ,पहचान अलग अलग होती है मेघालय की भी अपनी जनजाति की अलग अलग वेशभूषा है जो इसकी विविधता को दर्शाती है |

मेघालय के लोगो के पहनावे में एक सादगी नजर आती है मेघालय की महिलाओ के पारम्परिक पहनावे को जेनसेन कहते है | इनके द्वारा पहने जाने वाला कपडा बिना सिला हुआ होता है जो शरीर के चारो और लपेटा जाता है |इनका पहनावा रेशम का बना होता है जो इनकी सुंदरता को बड़ा देता है |

मेघालय की गारो जनजाति का पहनावा जगह के अनुसार अलग अलग होता है जो इनकी विविधता को बड़ा देते है | गावो में रहने वाली गारो जनजाति की महिलाए ईकिंग पहनती है | यह कमर के चारो और पहना जाने वाला छोटा कपडा होता है | गारो जनजाति के लोग भीड़ भाड़ में लम्बे कपडे पहनते है गारो जनजाति के महिला ब्लाउज के साथ साथ लुंगी भी पहने हुए होती है |जिसे डाकमंडा के नाम से जानते है |

जबकि गारो जनजाति के पुरुष वासभूसा के रूप में एक लंगोटी पहनते है | खासी जनजाति के पुरुष कमर के चारो और कपडा पहनते है इस कपडे का महत्व बहुत होता है |जिसे पगड़ी के रूप में सर पर बंधा जाता है |

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6. उत्सव एवं त्योहार

खासी
नृत्य खासी लोगो के जीवन की संस्कृति और मेघालय की कला और संस्कृति का मुख्य हिस्सा है । नृत्यों का आयोजन श्नोंग (ग्राम), रेड्स(ग्राम समूह) और हिमा(रेड्स का समूह) में होता है। इनके प्रमुख उत्सव में : शाद सुक माइनसिएम, पोम-ब्लांग नोंगक्रेम, शाद शाङ्गवियांग, का-शाद काइनजो खास्केन, का बाम खाना श्नोंग, उमसान नोंग खराई और शाद बेह सियर प्रमुख है |

जयन्तिया
जयन्तिया हिल्स के लोगों के उत्सव भी उनकी जीवन व संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। ये प्रकृति और अपने लोगों के बीच सन्तुलन एवं एकजुटता को दिखाते हैं। जयन्तिया लोगों के उत्सवों में : बेहदियेनख्लाम, लाहो नृत्य एवं बुआई का त्योहार आदि शामिल है |

गारो
गारों लोगों के लिये उत्सव उनकी सांस्कृतिक विरासत को जिन्दा रखने का तरीका हैं। गारो धार्मिक अवसरों, प्रकृति और मौसम और साथ ही सामुदायिक घटनाएं जैसे झूम कृषि अवसरों के उत्सव मनाते हैं। गारों समुदाय के मुख्य फेस्टिवल में डेन बिल्सिया, वङ्गाला, रोंगचू गाला, माइ अमुआ, मङ्गोना, ग्रेण्डिक बा, जमाङ्ग सिआ, जा मेगापा, सा सट रा चाका, अजेयोर अहोएया, डोरे राटा नृत्य, चेम्बिल मेसारा, डो’क्रुसुआ, सराम चा’आ और ए से मेनिया या टाटा आदि हैं ।

हैजोंग
हैजोंग के लोग अपने पारम्परिक त्योहारों के साथ ही हिन्दू त्योहार भी मनाते हैं। हजोंग लोग कृषक जनजाति के हैं। इनके प्रमुख पारम्परिक फेस्टिवल में पुस्ने, बिस्वे, काटी गासा, बास्तु पुजे और चोर मगा आदि मनाते हैं।

बियाट
बियाट लोगों के कई प्रकार के त्योहार एवं उत्सव मनाते हैं जिसमे नल्डिंग कूट, पम्चार कूट, लेबाङ्ग कूट, फ़वाङ्ग कूट, आदि प्रमुख है । हालांकि अब पहले की तरह नल्डिंग कूट के अलावा इनमें से कोई त्योहार नहीं मनाते हैं।

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7. मेघालय कैसे जाये –

सड़क मार्ग से

मेघालय में सडक जाल की लम्बाई 7,633 किलोमीटर किमी तक है, जिसमें से 3,691 किलोमीटर तारकोल की सडक है एवं शेष 3,942 किलोमीटर तक सडक रोड़ी की है। मेघालय असम में सिल्चर, मिजोरम में आईजोल और त्रिपुरा में अगरतला के राष्ट्रीय राजमार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है | बहुत सारी निजी बसें एवं टैसी गुवाहाटी से शिलांग यात्रियों को लाते एवं ले जाते हैं। शिलांग मेघालय के सभी नगरों, पूर्वोत्तर की सभी राजधानियों एवं असम के सहरो से जुड़ा हुआ है |

वायु मार्ग से
मेघालय की राज8धानी शिलांग का हवाई अड्डा उमरोई में स्थित है। यह शिलांग शहर से 30 किलोमीटर दूर गुवाहाटी-शिलांग राजमार्ग पर स्थित है। एअर इंडिया अपनी उड़ान शिलांग हवाईअड्डा से कोलकता प्रतिदिन भरता है। हैलीकॉप्टर सेवा भी शिलांग से गुवाहाटी और तुरा के उड़ान भरती है। असम में अन्य हवाई अड्डों में बोरझार, गुवाहाटी , शिलांग से लगभग 124 किलोमीटर की दुरी पर मौजूद है |

रेल मार्ग से
मेघालय रेलमार्ग द्वारा भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है पहले एकमात्र मार्ग मेहंदीपत्थर तक था यह सेवा 30नवंबर 2011 को प्रारम्भ हुई थी।हालाँकि अब राज्य को रेलमार्ग से जोड़ दिया गया है शिलॉन्ग अब रेलमार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है |

8. मेघालय में पर्यटन (मेघालय की कला और संस्कृति )

मेघालय की कला और संस्कृति

मेघालय की कला और संस्कृति – मेघालय राज्य पर्वतों, पठारी ऊंची-नीची भूमि, कोहरे व धूंध से भरे इलाकों और नैसर्गिक दृश्यों आदि के लिए जाना जाता है | इसलिए मेघालय की तुलना स्कॉटलैण्ड से की जाती है और इसे पूर्व का स्कॉटलैण्ड (स्कॉटलैण्ड ऑफ़ द ईस्ट) भी कहा जाता है | मेघालय में देश के सबसे घने वन मौजूद हैं और इस वजह से इसको भारत के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक माना जाता है। राज्य में 2 राष्ट्रीय उद्यान एवं 3 वन्य जीव अभयारण्य मौजूद हैं।

मेघालय में बहुत से साहसिक पर्यटन जैसे पर्वतारोहण, रॉक क्लाइम्बिंग, ट्रेकिंग, हाइकिंग, गुफा भ्रमण एवं जल-क्रीड़ा का मजा भी ले सकते है। इसके अलावा राज्य में कई ट्रेकिंग मार्ग भी उपलब्ध हैं । उमियम झील में वाटर स्पोर्ट्स परिसर मौजूद हैं, जहां रो-बोट्स, पैडलबोट्स, सेलिंग नौकाएं, क्रूज-बोट, वॉटर स्कूटर और स्पीडबोट जैसी सुविधाएं आपको मिल जाती हैं । इसके आलावा चेरापुंजी पूर्वोत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल में से एक भी मेघालय में है। यह राजधानी शिलांग से दक्षिण दिशा में स्थित है एवं सड़क से राजधानी शिलांग से जुड़ा हुआ ह |

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