मणिपुर की कला और संस्कृति की पूरी जानकारी

आज हम बात करने वाले मणिपुर की कला और संस्कृति की पूरी जानकारी के बारे में जो भारत का पूर्वोत्तर राज्य है और मणिपुर जो अपनी सुंदरता के लिए और अपनी संस्कृति के लिए जाना जाता है |

अगर आप मणिपुर जायँगे तो आपको मणिपुर की प्राकृतिक सुंदरता के साथ यहाँ का नृत्य भी आपको मणिपुर की तरफ खींच लेगा मणिपुर को प्रकृति ने बहुत सुन्दर तरीके से सजाया है और सवारा भी है|इसलिए इसे ‘पूरब का स्विट्जरलैंड’ भी कहा जाता है मणिपुर जाकर आपको जीवन की भागदौड़ और तनाव पूरी तरह गायब हो जायगा क्युकी यहाँ का मौसम आपके अनुकूल रहता है

मणिपुर राज्य की सीमा भारत के पड़ौसी देश म्यांमार की सीमा से लगती है इस राज्य की राजधानी इम्फाल है क्या आप जानते है मणिपुर को भारत में “साउथ एशिया के प्रवेश द्वार” का रूप में भी जाना जाता है पूर्व के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने मणिपुर को “भारत का गहना” नाम दिया था आज हम जानेंगे मणिपुर की कला और संस्कृति की पूरी जानकारी के बारे में –

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1.मणिपुर की भोगोलित परिस्थिति

णिपुर की कला और संस्कृति की पूरी जानकारी -णिपुर भारत का एक पूर्वोत्तर राज्य है। मणिपुर की राजधानी इंफाल है । मणिपुर राज्य के पड़ोसी राज्य इस प्रकार है उत्तर में नागालैंड और दक्षिण में मिज़ोरम, पश्चिम में असम, और पूर्व में इसकी सीमा म्यांमार देश से लगती है।

मणिपुर का कुल क्षेत्रफल 22,347 वर्ग कि.मी (8,628 वर्ग मील) है। मणिपुर राज्य में कुल 9 जिले है, इस राज्य की जनसँख्या 2011 की अनुसार 2.722 मिलियन थी| मणिपुर का सबसे बड़ा ज़िला इम्फाल वेस्ट है जिसकी आबादी ५१७९९२ की आसपास है और क्षेत्रफल में चुराचांदपुर सबसे बड़ा ज़िला है |

यहां के मूल निवासी मेइती जनजाति के हैं,मेइती जनजाति के लोगो द्वारा मेइतिलोन भाषा बोली जाती है,इस भाषा को मणिपुरी भाषा भी कहा जाता है|इस भाषा को १९९२ में भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ी गई थी और और इसको राष्ट्रीय भाषा का दर्ज़ा हांसिल है |manipur full information Hindi

2.मणिपुर राज्य का इतिहास

मणिपुर की कला और संस्कृति की पूरी जानकारी – मणिपुर की इतिहास की बात की जाये तो यहा काफी राजाओ ने शासन किया है ,यहाँ के राजवंशो का का लिखित इतिहास सन 33 ई. में पाखंगबा के राज्याभिषेक से शुरू हुआ है। उसके बाद अनेक राजाओं ने शासन किया। जैसे मणिपुर के महाराज कियाम्बा ने 1467, खागेम्बा ने 1597, चराइरोंबा ने 1698, गरीबनिवाज ने 1714, भाग्यचन्द्र (जयसिंह) ने 1763, गम्भीर सिंह ने 1825 में शासन किया।

का आधुनिक इतिहास 19वीं सदी में प्रारम्भ हुआ उसके बाद इस जगह बर्मा के लोगो ने (1819 से 1825 तक कब्ज़ा कर लिया और शासन किया, लेकिन उसके बाद मणिपुर 24 अप्रैल, 1891 के खोंगजोम युद्ध (अंग्रेज-मणिपुरी युद्ध) में मणिपुर अंग्रजो के अधीन आ गया और फिर देश की आजादी तक मणिपुर में अंग्रजो ने शासन किया|

21 सितम्बर1949 को विलय संधि के बाद 15 अक्टूबर 1949 से मणिपुर भारत देश का अभिन्न अंग बन गया | उसके बाद 1962 को मणिपुर को एक केंद्रशासित प्रदेश का दर्ज़ा दिया गया उसके बाद 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को भारत का पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया |

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3.मणिपुर के जनजातियां

मणिपुर की कला और संस्कृति की पूरी जानकारी – मणिपुर में चार प्रमुख जनजातीय निवास करती है , इसमें घाटी में मीतई जनजाति और बिष्णुप्रिया मणिपुरी निवास करती है |मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्र नागा जनजातियों और कूकी जनजातियों निवास करती हैं। हर जनजाति की अपनी संस्कृति रीती रिवाज़ है |

मणिपुर आदिवासी समुदाय के साथ 29 और आदिवासी जनजातीय है,जो इस प्रकार है आइमोल, अनल, अंगामी, चिरु, चोटे, गंगते, हमार, कबुई, कचनागा, कैराव, कोइरांग, कोम, लामगंग, माओ, मारम, मारिंग, मिजो, मोनसांग, मोयोन, पैइट, पुरुम, राल्ते, सेमा, सिमटे, सब्टे, तंगखुल, थाडौ, वैफा और ज़ो आदि प्रमुख है |

इन् जनजातियों में नागा समूह की जनजाति आइमोल, अंगामी, कबुई, कचनागा, कैराव, कोइरांग, लमगांग, माओ, मारम, मारिंग, मिजो, मोनसांग, मोयोन, राल्टे, सेमा, सबते, और तंगकुल आदि प्रमुख है। और बाकि बची शेष जनजातियाँ कूकी समूह से बिलोंग करती हैं।

यहाँ के लोग बहुत सुन्दर और कलाकार होते हैं और सृजनशील भी होते हैं | यह कला हम उनके द्वारा बनाये उत्पादों में देख सकते है मणिपुर की लोगो द्वारा बनाये उत्पाद पुरे विश्वभर में अपनी डिज़ाइन, कौशल व उपयोगिता, और गुणवत्ता की के लिए पहचाने जाते है।

4. मणिपुर की वेशभूषा

मणिपुर की वेशभूषा की बात किये बगैर मणिपुर की कला और संस्कृति की पूरी जानकारी अधूरी होगी क्युकी यहाँ की वेशभूसा यहाँ की संस्कृति को दिखाती है | मणिपुर के लोग जितने आकर्षक होते है उतनी आकर्षक यहाँ की वेशभूषा भी होती है| अगर बात महिलाऔ की करे तो महिलाए विशेष प्रकार की ड्रेस पहनती है जिसको मणिपुर में इंनाफी कहा जाता है और यह शोल की तरह होती है |

इस पोशाक के चारो और आकर्षक रंग के बॉर्डर के साथ बहुत सुन्दर डिजाइनकिया होता है और साथ ही महिलाओ की पोशाक में एक फेनक और स्कर्ट भी होता है अगर पुरुषो की बात करे तो सफ़ेद कलर की धोती कुरता और सफ़ेद पगड़ी शामिल है यह पहनावा मणिपुर का पारम्परिक है और आधुनिक पहनावा आज की युवा पीढ़ी में देख सकते है और वो हम सब जानते है कैसा होता है |

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5. मणिपुर का लोक नृत्य

मणिपुर का नृत्य पुरे भारत में प्रसिद है एक तरह से मणिपुर भारत में अपने नृत्य के लिए भी जाना जाता है यहाँ के लोग बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के होते है और यह उनके नृत्य में भी साफ़ झलकता है । मणिपुर में शास्त्रीय और लोक नृत्य यह भक्तिमय होते है और सिर्फ भगवान के मंदिरों में ही होते है।

मणिपुरी नृत्य विशेष रूप से राधा-कृष्ण को समर्पित होते है। क्यकि प्राचीन काल में मणिपुर से ही रासलीला उत्पन हुई मणिपुरी नृत्यों में मुख्य रूप से पुंग चोलम नृत्य, माई नृत्य, खम्बा थाबी नृत्य और नूपा नृत्य प्रमुख है|

6. मणिपुर के उत्सव

मणिपुर में उत्सव यहाँ की संस्कृति में खास स्थान रखते है उत्सव मणिपुर की कला और संस्कृति की पूरी जानकारी से जुड़े हुए है इसलिए इस राज्य को उत्सव की भूमि भी कहा जाता है | मणिपुर में सभी त्यौहारों को बहुत उत्साह से मनाया जाता है। मणिपुर राज्य के त्योहार हिंदू पौराणिक कथाओं और पुरानी सांस्कृतिक परंपराओं से सम्बंद रखते है।

अलग अलग उत्सव इस राज्य की विविध संस्कृति को दर्शाता है यहाँ के कुछ प्रमुख उत्सव जैसे यात्रा, रथ यात्रा, कुट, लाइ हरोबा, चुमफा तथा दशहरा आदि है।यह उत्सव पर्यटकों की लिए अलग अनुभव देते है |

7. हथकरघा उद्योग

मणिपुर की कला और संस्कृति की पूरी जानकारी – मणिपुर राज्य का सबसे बड़ा कुटीर उद्योग है। यह उधोग बहुत प्राचीन समय का है और साथ ही यह मणिपुर में सबसे अधिक रोजगार पैदा करता है। मणिपुर के कुछ प्रमुख हथकरघा उत्पाकद जैसे साड़ी, चादर, पर्दे, फैशनवाले कपड़े, स्काधर्फ व तकिए के कवर इत्यादि शामिल है।जिनको हुनर व महीन डिजाइनिंग के लिए जाना जाता है।

वे वांग खाई बायोन कांपू, कोंगमान, खोंग मैन उल्लालऊ आदि से सम्बंद रखते हैं और यह उत्कृष्ट सिल्कन उत्पादों के लिए प्रसिद्ध हैं। मणिपुरी कपड़े व शॉलों की भी देश और विदेश में बहुत डिमांड है । तीन सरकारी एजेंसियां हथकरघा उत्पाोदन का काम करती हैं ये हैं इनमे निम्न सरकारी एजंसिया काम करती है | जो इस प्रकार है –

1.मणिपुर डेवलपमेंट सोसायटी (एमडीएस)
2.मणिपुर हैंडलूम एंड हैडीक्राफ्ट डेवलपमेंट कॉपोरेशन (एमएचएचडीसी)
3.और मणिपुर स्टेट हैंडलूम वीवर्स को-ऑपरेटिव सोसायटी (एमएसएचडब्यूज सीएस)


राज्य के हस्तशिल्प उद्योग का देश में प्रमुख स्थान है हस्तशिल्प में बेंत व बांस के बने उत्पादों के साथ-साथ मिट्टी के बर्तन बनाने की कला भी शामिल है। मणिपुर में मिट्टी के बर्तन बनाने की कला बहुत प्राचीन है और यह मुख्यत : एंड्रो, सिकमाई, चैरन, थोगजाओ, नुंगवी व सेनापति जिले में प्राचीन समय में बनाये जाते थे इसके साथ ही टोकरी बुनना भी यहाँ की लोगो का प्रमुख व्यवसाय है |

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8.मणिपुर में पर्यटन

मणिपुर की कला और संस्कृति की पूरी जानकारी – के बाद अब हम आ पहुंचे है मणिपुर के पर्यटन के बारे में –

मणिपुर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और विविध वनस्पतियों एवं अनेक प्रकार जीव-जंतुओं के कारण भी जाना जाता है |मणिपुर को ‘भारत का आभूषण’ भी कहा जाता है।मणिपुर में पर्यटन की बहुत सम्भावनाये है पर्यटकों को लुभाने लिए प्राकृतिक दृश्यों, दुर्लभ एवं विलक्षण पेड़-पौधे, निर्मल वन, बहती नदियां, झरने, हरे भरे पहाड़ शामिल है। इतनी खूबसूरती देखकर ऐसा लगेगा की हम स्विजरलैंड आ गए है लेकिन यकीं मानिये हम अभी मणिपुर में ही है|

इसके अलावा पर्यटकों के लिए कई घूमने की जगह है जैसे श्री गोविंद जी मंदिर, खारीम बंद बाजार (इमा कैथल) युद्ध कब्रिस्तान, शहीद मीनार, नुपी सान (महिलाओं का युद्ध) मेमोरियल कॉम्लेार क्सा, खोंघापत उद्यान, आईएनए मेमोरियल, लोकटक झील, कीबुल लामजो राष्ट्रीय उद्यान, विष्णुपुर स्थित विष्णु मंदिर, सेंड्रा, मोरेह सिराय गांव, सिराय की पहा‍ड़ियां, डूको घाटी, राजकीय अजायबघर, कैना पर्यटक निवास, खोंगजोम वार मेमोरियल आदि घूमने के स्थल से मणिपुर भरा पड़ा है।

मणिपुर में पर्यटन की अपार सम्भवानये है इसके साथ ही यहाँ परनिवेश के भी बहुत अवसर है |

मणिपुर के अन्य दर्शनीय स्थलों में इम्फाल, उख्रुल प्रमुख हैं। इम्फाल शहर में कांग्ला पार्क, गोविंद मन्दिर वहां के बाजार, टीकेन्द्रजित पार्क प्रसिद्ध हैं इसके साथ ही उख्रुल की पहाड़ियां प्रसिद्ध हैं।

9.मणिपुर की यात्रा करने का अच्छा समय


मणिपुर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय नवम्बर से अप्रैल तक माना जाता है | क्युकी इस समय हल्की सर्दी आपकी यात्रा को यादगार बना देती है क्यकि इस समय आप प्रकृतिक सुंदर का अच्छे से आनंद ले सकते है हालाँकि आप गर्मी में या साल के किसी मौसम में जा सकते है गर्मी में भी यहाँ इतनी गर्मी तो नहीं होती है |

ज्यादातर बारिश का मौसम रहता है आप बारिश के शौकीन है तो आपको अप्रैल से अक्टुम्बर आपके लिए अच्छा रहेगा बारिश आपकी यात्रा को चार चाँद लगा देगी |

मणिपुर कैसे जाए – How To Reach Manipur

भारत के दूसरे हिस्सों से मणिपुर सड़क ,रेल ,और हवाई सेवाओं से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है आपको वहा जाने में कोई दिकत्त नहीं होगी

हवाई यात्रा :- हवाई यात्रा से मणिपुर की कैपिटल इंफाल जो पूर्वोत्तर का दूसरा बड़ा हवाई अड्डा है।इस हवाई मार्ग से आइजोल, गुवाहाटी, कोलकाता, सिल्चर तथा नई दिल्ली से आसानी से यात्रा कर सकते है |

रेल मार्ग :-रेल मार्ग से भी मणिपुर अब जुड़ चूका है आप रेलवे द्वारा गुवाहाटी से आसानी से इम्फाल जा सकते है |

सड़क सेवा :-मणिपुर सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है मणिपुर तीन राष्ट्रीय सड़क मार्ग 39 ,53 ,और 150 विभिन्न सहरो से जुड़ा है | से असम और गुवाहटी से सीधे बस सेवा उपलब्ध है भवष्य में प्रस्तावित मोराह-माइसॉट (थाईलैंड) राजमार्ग से मणिपुर दक्षिण-पूर्ण एशिया के थाईलैंड से जुड़ जायगा और यह दक्षिण-पूर्ण एशिया का गेटवे बन जाएगा।जिससे थाईलैंड की यात्रा कई किलोमीटर कम होकर कुछ घंटो की रह जाएगी ।

इतने खूबसूरत मणिपुर में आपको एक बार जरूर जाना चाहिए यह मेरा आप से अनुरोध है सच में आपको मणिपुर जाकर आपको स्विज़रलैंड की याद जरूर आएगी

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अत आपको मेरी पोस्ट मणिपुर की कला और संस्कृति की पूरी जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताये साथ ही कोई चीज़े छूट गयी हो या कुछ कमी लगती है तो भी कमेंट करके जरूर बताये

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