आप हम आपको एक ऐसे देश के बारे में बताने वाले है जो अपनी संस्कृति और अपनी तकनीक में पुरे विश्व में विख्यात है ।यहाँ के लोगो ने अपनी मेहनत के बलबूते अपने देश को विश्व के शक्तिसाली और आर्थिक समृद देशो में शुमार किया है ।हम आपको आज जापान देश की संस्कृति और जापान की पूरी जानकारी देने वाले है जो एशिया पहला सबसे समृद देश बना था ।
जापान देश इतना छोटा देश और यह खरगोश की तरह है लेकिन इतने छोटे से देश की जीडीपी 5 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा है जो इसको दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बनाती है ।
आइये जानते है जापान देश की संस्कृति और जापान की पूरी जानकारी :-
Table of Contents
1. जापान में रहन-सहन (standard of living in japan)
जापान के तीन बड़े शहर टोक्यो, ओसाका और नागोया है। यह जापान की जनसंख्या के हिसाब से सबसे बड़े शहर है जिसमे टोक्यो की (3.4 करोड़ जनसंख्या), ओसाका (1.8 करोड़) और नागोया शहर (1.1
करोड़) की जनसंख्या है।इन् शहरो की जनसंख्या जापान की कुल आबादी की आधी मानी जाती है। जापानी लोगों को इन बड़े शहरो में घर मिलने में कभी काफी मुश्किले आती है। क्युकी जापान एक संकीर्ण भूमि का देश है इसलिए एक बार पाश्चात्य ने कहा कि यह देश खरगोश की तरह है।
अगर जापान के टोक्यो में होटल चाहिए तो आपको एक बेड जितनी जगह के लिए आपको भारी राशी खर्च करनी पड़ेगी ।
जापान में सयुंक्त परिवार काफी कम है |यहाँ पर आपको ज्यादातर एकल परिवार ही देखने को मिलेंगे यहाँ पर घरो में कमरों की संख्या भी ज्यादा बड़ी नहीं ।
2. जापान की वेशभूषा (Japan costumes)
पूरी दुनिया में जापान की रहन सहन को जानने में की काफी उत्सुकता रहती है। जापान देश की संस्कृति, जापान का पहनावा और वेशभूषा और जापान के लोग पुरे विश्वभर में काफी प्रचलित हैं।
पारम्परिक जापानी वेशभूसा इसको दुनिया के अन्य देशो से अलग करती है जापान में किमोना जापान का पारम्परिक वस्त्र है जापानी भाषा में किमोना का अर्थ है “कुछ एक पहनता है ” है | हालाँकि पारम्परिक रूप से , किमोना शब्द का उपयोग सभी प्रकार के कपड़ो के लिए होता है लेकिन इसको एक विशेष रूप से पूर्ण लंबाई के कपड़ो के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है “लंबे समय तक पहनने वाला”, जिसको आज भी जापान में विशेष अवसरों पर महिलाओं, पुरुषों और बच्चों द्वारा पहना जाता है।
कीमोनो के अलावा अन्य सभी पारंपरिक जापानी कपड़ों की वस्तुओं को वाफुकु के रूप में जाना जाता है जिसका अर्थ होता है “जापानी कपड़े” और यह कपडे पश्चिमी शैली के कपड़ो के विपरीत है। किमोनोस विभिन्न रंगों, शैलियों और आकारों में बनते हैं। इसमें जापानी पुरुष गहरे या अधिक म्यूट रंग पहनते हैं, इसके विपरीत महिलाएं चमकीले रंग और पेस्टल पहनना ज्यादा पसंद करती हैं |
कीमोनो में भी भिन्न प्रकार होते है एक विवाहित महिला का कीमोनो एक अविवाहित महिला से अलग होता है किमोनो की शैली में भी मौसम के साथ बदलाव होता है, वसंत में किमोनोस वाइब्रेट रूप से रंगीन होते हैं एवं इन् पर फूलों के फूलों की कढ़ाई होती है।
सर्दी में, किमोनो का रंग शरद ऋतु पैटर्न में उज्ज्वल नहीं होता हैं। फलालैन किमोनोस सर्दियों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय होते है एवं वे एक भारी सामग्री से बनाये जाते हैं जिससे सर्दी का अहसास न हो। एक शादी समारोह में दुल्हन द्वारा लंबा रेशम ओवरगारमेंट कीमोनो पहना जाता है। इसको सामान्यत चांदी या सोने के धागे का उपयोग करके पक्षियों या फूलों से सजाया जाता है।
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3. जापान का संगीत (Japan music)
जापान देश की संस्कृति -जापान के संगीत में पारंपरिक और आधुनिक दोनों शैलियों की कलाकारों की एक काफी बड़ी श्रृंखला है। जापानी में संगीत के लिए कांजी 楽 “गाकु” (आनंद) के साथ कांजी on “पर (ध्वनि) का एक संयोजन है। जापान विश्व का दूसरा सबसे बड़ा संगीत मार्किट है इसमें सयुंक्त राज्य अमेरिका के बाद , और एशिया में सबसे बड़ा संगीत मार्किट है |ज्यादातर बाज़ारो में जापानी कलाकारों का दबदबा है| लोकल म्यूजिक कराओके स्थानों पर दिखाई देता है। जापान का पारंपरिक संगीत पश्चिमी संगीत से काफी अलग है और यह संगीत गणितीय समय के बजाय मानव के साँस लेने के अंतराल पर है।
4. जापान के खेल (Japan games)
जापान में खेल जापान देश की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता हैं। जापान में सुमो और मार्शल आर्ट्स जैसे पारंपरिक खेल और बेसबॉल और फुटबॉल जैसे पश्चिमी खेल दर्शको के साथ काफी लोकप्रिय हैं। सुमो कुश्ती को जापान का राष्ट्रीय खेल का दर्ज़ा हांसिल है। 19वीं शताब्दी में अमेरिकियों का दौरा करने से बेसबॉल देश में आया था
आधुनिक काल में जापान ने सुव्यवस्थित मार्शल आर्ट के रूप में विकसित किया है , जिसे सामूहिक रूप वर्तमान जापान और दूसरे देशों में भी यह खेल अभी भी व्यापक रूप से प्रचलित हैं।अन्य खेलो में बेसबॉल, एसोसिएशन फुटबॉल और अन्य लोकप्रिय पश्चिमी खेल जापान में थे।
इन खेलो को विशेष रूप से स्कूलों में पारंपरिक मार्शल आर्ट के साथ अभ्यास करवाया जाता है। जापान सबसे ज्यादा लोकप्रिय खेल बेसबॉल, फुटबॉल, और पिंग पोंग है। 1991 में जापान प्रोफेशनल फुटबॉल लीग की स्थापना की गयी। जापान ने 2002 फीफा विश्व कप की सह-मेजबानी भी की थी। इसके अलावा भी खेलो को बढ़ावा देने के लिए कई अर्ध-पेशेवर संगठन हैं,यह निजी कंपनियों द्वारा प्रायोजित किये जाते हैं: जैसे वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, रग्बी यूनियन, टेबल टेनिस,आदि ।
5. जापानी खानपान (Japanese Catering)
जापान देश की संस्कृति –जापान के खानपान की अगर बात करे तो आम तौर पर जापानी लोग दिन में तीन बार भोजन करते है। लेकिन जापानी लोगो को खाने का समय बेहद कम मिलता है, क्योंकि जापानी लोग आपने ज्यादातर समय अपने काम को करने में निकाल देते है। ज्यादातर लोग नाश्ते में बेहद कम खाना खाते है क्योंकि उन्हें अपने ऑफिस जाना होता है।
सामन्यत जापान में दोपहर का भोजन 12 बजे शुरू होता है जो की एक घंटे तक का होता है।और रात का भोजन भी एक
घंटे के के अंदर ही पूरा हो जाता है। अधिकतर जापानी तेजी से खाना काते है। जापानी लोग खाने में चीनी कांटा का उपयोग करते है। सामान्यत जापानी खाना काफी हल्का माना जाता है ।जापानी लोग अपने खाने के लिए बहुत कम ही समय निकल पाते है क्युकी उनको काम पर जाना होता है |
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6. जापान की एजुकेशन (Education of japan)
-जापानी लोग काफी शिक्षित होते है। आंकड़ों के अनुसार जापान लगभग सभी 100 फीसदी लोग कभी ना कभी स्कूल गए हैं। जापान में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती है।हालाँकि उच्च विद्यालयों व विश्वविद्यालयों में छात्रों को पढ़ाई के लिए पैसे देने होते हैं। स्कूल में जापानी बच्चों को कोई गृहकार्य नहीं दिया जाता है, जबकि माध्यमिक और उच्च विद्यालय में विधार्थीओ को निबंध एवं अन्य कार्य दिए जाते ह
हैरानी की बात यह है की जापानी स्कूलों में सफाई करने के लिए किसी व्यक्ति को नहीं रखा जाता बल्कि सभी बच्चे मिलकर सफाई करते है |
7. जापानी जनजीवन (Japanese life)
जापान में एक ऊँचे जीवन स्तर की एक झलक दिखाई देती है | यह हम इस से समज सकते है की जापान यात्रा के बाद निशिकांत ठाकुर ने लिखा हैं की –
“आज जापान में प्रत्येक व्यक्ति के पास रंगीन टेलीविजन है, लगभग 83 प्रतिशत लोगों के पास कार है, 80 प्रतिशत घरों में एयरकंडीशन लगे हुए हैं, 76 प्रतिशत लोगों के पास वीसीआर हैं, 91 प्रतिशत घरों में माइक्रोवेव ओवन हैं और करीब 25 प्रतिशत लोगों के पास पर्सनल कम्प्यूटर हैं। यह एक विकास और ऊंचे जीवन स्तर की झलक को दर्शाता है।
एक आम जापानी स्वभाव से शर्मीला, विनम्र, ईमानदार, मेहनती और देशभक्त होता है। यही वजह है कि विकसित देशों की तुलना में जापान में अपराध दर काफी कम है।” जापान के लोगो ने द्वितीय विश्व युद के बाद से काफी मेहनत की है इसी वजह से जापान इतना विकसित बन पाया जापान में विश्व के सबसे ज्यादा बुजुर्ग लोग रहते हैं। जापान तकनीक क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ चूका है।
8. जापान देश की संस्कृति (culture of Japan)
अगर बात जापान देश की संस्कृति की करे तो यह संस्कृति पूरी दुनिया एक अनूठी संस्कृति से जानी जाती है हालाँकि कुछ लोग जापान की संस्कृति को चीन की संस्कृति का विस्तार समझते हैं। लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है । हालाँकि जापानी लोगो ने कई विधाओं में चीन की संस्कृति की नक़ल की है।जापान की संस्कृति प्राचीन काल से लेकर मध्य युग तक प्रमुख रूप से कई चीनी राजवंशों और अन्य एशियाई देशों द्वारा कुछ हद तक जरूर प्रभावित हुई थी।
बौद्ध धर्म चीनी एवं कोरियाई भिक्षुओं के द्वारा जापान पहुंचा। जापान की संस्कृति की सबसे बड़ी बात यह है की यहां के लोग अपनी संस्कृति से खासा लगाव रखते हैं। जापान में मार्च का महीना उत्सवों का महीना होता है। जापानी संगीत एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा बड़ा संगीत है |दुनिया में जापानी लोग काफी मेहनती होते है। जापान की संस्कृति उनके कामकाजी तरीके से भी पहचानी जाती है। जापान के लोग आम तौर पर ओवरटाइम और छुट्टी में भी काम करते रहते है। जापानी लोगों कड़ी मेहनत करने और सदाचार पर विश्वास करते है ।
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9. जापान का इतिहास (History of japan)
जापान देश की संस्कृति के बाद अब हम आ पहुंचे है जापान के इतिहास पर जापानी की अपनी लोककथाओं की माने तो विश्व के निर्माता ने सूर्य देवी तथा चन्द्र देवी की रचना की |और फिर उसका पोता क्यूशू इस द्वीप पर आया और बाद में उनकी संतान होंशू पुरे द्वीप पर फैल गए|
लेकिन जापान का प्रथम लिखित इतिहास 57 वी ईस्वी में एक चीनी लेख से मालूम होता है इसमें एक राजनीतिज्ञ के चीन के दौरे का वर्णन मिलता है जो की पूर्व के किसी द्वीप से आया था। समय के साथ धीरे-धीरे दोनों देशों के बीच राजनैतिक और सांस्कृतिक सम्बंध होते है ऐसा वरणन मिलता है । उस समय जापान में एक बहुदैविक धर्म प्रचलित था , जिसमें अनेक देवता हुआ करते थे। फिर छठी शताब्दी में चीन से चलकर बौद्ध धर्म जापान पहुंचा।जिसके बाद जापान के पुराने धर्म को शिंतो की परिभाषा दी गई जिसका अर्थ है – देवताओं का पंथ। बौद्ध धर्म के आने के बाद भी पुरानी मान्यता चलती रही लेकिन मुख्य धर्म बौद्ध ही रहा।
710 ईस्वी में जापान के राजा ने नॉरा नामक एक शहर में अपनी राजधानी बनाई।और बाद में इसको हाइरा नामक नगर में स्थानान्तरित कर दिया इसको ही बाद में क्योटो के नाम से जाना गया । सन् 910 में जापानी शासक फूजीवारा ने खुद को राजनैतिक शक्ति से अलग कर लिया। यह अपने समकालीन भारतीय, यूरोपी तथा इस्लामी क्षेत्रों से पूरी तरह अलग था जहाँ सत्ता का प्रमुख शक्ति का प्रमुख होता था। इस वंश ने ग्यारहवीं सदी तक शासन किया। यह शासनकाल जापानी सभ्यता का स्वर्णकाल रहा। जापान ने दसवी सताब्दी में बौद्ध धर्म का मार्ग अपनाया।
12 वी शताब्दी से जापान पर सामंती सैन्यो का शासनकाल रहा जिसने 1868 तक जापान में राज किया लगभग 2 दशकों तक आंतरिक मनमुटाव के बाद 1868 में इम्पेरिकल कोर्ट ने जापान में राजनीतिक ताकतों को पुनः हासिल किया और इस प्रकार जापान के साम्राज्य की फिर से स्थापना की गयी। 19 वी और 20 वी शताब्दी में जापान ने पहले सीनों-जापान युद्ध, रुस्सो-जापान युद्ध और प्रथम विश्व युद्ध में जीत हासिल की |और जापान ने अपने साम्राज्य का विस्तार किया लकिन 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध हुआ जिसने जापान को भारी नुक्सान हुआ।
इसका अंत 1945 में हुए परमाणु हमले हिरोशिमा और नागासाकी पर हुई बमबारी के बाद हुआ। 1947 में जापान ने नए संविधान को अपनाया इसके बाद से जापान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और जापान ने खुद को एक आर्थिक शक्ति के रूप में मजबूत किया और आज जापान की गिनती तकनीकी क्षेत् में उन्नत देशो में होती है|
10 . जापान की भाषा (Language of japan)
जापान देश की संस्कृति -जापानी भाषा का सबसे पहला सत्यापन 252 ईस्वी में एक चीनी दस्तावेज़ में मिलता है। जापानी भाषा का चीनी के साथ कोई संबंध नहीं है।यह एक पूरी तरह से अलग भाषा परिवार है जिसे जापोनिक भाषा कहा जाता है। फिर भी जापान में चीनी वर्णों याकांजी (कांजी?)漢字(漢字?का बहुत उपयोग होता है|
जापानी भाषा तीन लिपियों के संयोजन के साथ है: हीरागाना और काटाकना एवं कांजी लिपि आदि , क्योंकि जापान में एक लेखन प्रणाली नहीं थी एक लेखन प्रणाली को लगभग 50 ईस्वी में पेश किया गया।
11- जापान में धर्म (Religion in Japan)
जापान देश की संस्कृति और जापान की पूरी जानकारी
11.1 जापान में बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म जापान में 6 वीं शताब्दी में पहुंचा ,जब बाकेजे राजा ने जापानी सम्राट को बुद्ध और कुछ सूत्रों की एक तस्वीर भेजी। रूढ़िवादी बलों द्वारा हिंसक विरोध बाद भी जापान ने बौद्ध धर्म को मान्यता दे दी ।आज बौद्ध धर्म जापान का सबसे लोकप्रिय और बड़ा धर्म है सिंटो धर्म के अधिकांश सिद्वांत भी बौद्ध से लिए गए है ।आज जापान में 96 % लोग boudh को मानते है आज अधिकांश सिंटो के अनुयायी भी बौद्ध धर्म को मानते है ।
11.2 जापान में सिंटो धर्म
शिंटो धर्म को जापान का सबसे पुराना और पारम्परिक धर्म माना जाता है यह बौद्ध धर्म से पहले काफी लोकप्रिय था सिंटो धर्म का मानना है कि एक शिंटो देवता या आत्मा, चट्टानों, पेड़ों और पहाड़ों सहित पूरी प्रकृति में मौजूद हैं। शिंटो धर्म का एक लक्ष्य मनुष्य, प्रकृति और कामी के बीच एक संबंध स्थापित करना है। छठी शताब्दी ईसा पूर्व में जापान में शिंटो धर्म का विकास हुआ ।
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11. जापान में चाय के प्रति क्रेज़ (Love for tea in japan)
जापान के लोगों की एक विशेषता यह है कि वे चाय के लिए अपना समय जरूर निकालते हैं। जापान चाय एक ऐसी चीज है, जो लोगों को एक साथ जोड़े रखती है। क्युकी चाय के लिए जापानी लोग संयुक्त परिवार के साथ मिलकर आनंद लेते हैं। और जापान में सबसे ज्यादा ग्रीन टी लोकप्रिय है यह जापान के लोगो को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ।
तो आज आपको मेरी यह पोस्ट जापान देश की संस्कृति और पूरी जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताये |